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पद खाली, भर्ती के इंतजार में बीत रहा सातवां साल, 2016 से लटका एपीएस के रिक्त पदों का अधियाचन


यह सातवां साल है, जो पद रिक्त होने के बावजूद भर्ती के इंतजार में बीतने जा रहा है। अपर निजी सचिव (एपीएस) के तीन सौ से अधिक रिक्त पदों का अधियाचन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के पास पड़ा हुआ है, लेकिन आयोग ने इसका विज्ञापन जारी नहीं किया।

केवल एपीएस ही नहीं, एलटी ग्रेड शिक्षक और प्रवक्ता के पद के भी हजारों पर खाली होने के बावजूद नई भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं किया जा रहा। आयोग को वर्ष 2016 में एपीएस के तकरीबन ढाई सौ पदों का अधियाचन मिला था। रिक्त पदों की संख्या बढ़कर अब 300 से अधिक हो चुकी है। इनमें तकरीबन 271 पद सचिवालय में हैं और बाकी के पद राजस्व परिषद एवं यूपीपीएससी में हैं।

एपीएस भर्ती परीक्षा-2013 को आयोग निरस्त कर चुका है और पुनर्परीक्षा कराने का निर्णय लिया है, लेकिन पुनर्परीक्षा की कोई तिथि घोषित नहीं की गई। ऐसे में एपीएस के पदों पर नौ साल से कोई भर्ती नहीं हुई है। एपीसीएस-2013 में शामिल हुए अभ्यर्थी उमेश चंद पांडेय नई भर्ती के इंतजार में ओवरएज हो चुके हैं और एपीएस-2013 की कई चरणों की परीक्षा में सफल होने के बाद अब वह भी निरस्त हो चुकी है।

उमेश और उनके जैसे तमाम अभ्यर्थियों के लिए भविष्य के रास्ते बंद हो चुके हैं। ऐसे अभ्यर्थी अब मांग कर रहे हैं कि एपीएस की नई भर्ती जब भी शुरू की जाए, उसमें ओवरएज अभ्यर्थियों को भी मौका दिया जाए। दूसरी ओर, आयोग के पास साल भर से एलटी ग्रेड शिक्षक के हजारों रिक्त पदों का अधियाचन भी पड़ा हुआ है। रिक्त पदों की संख्या बढ़कर अब पांच हजार से अधिक हो गई है।वहीं, जीआईसी प्रवक्ता के भी तकरीबन चार सौ रिक्त पदों का अधियाचन आयोग में पड़ा हुआ है। आयोग की ओर से इन पदों पर भर्ती का नया विज्ञापन जारी नहीं किया जा रहा। प्रतियोगी छात्र मोर्चा के अध्यक्ष विक्की खान और तमाम अभ्यर्थियों ने आयोग में कई बार ज्ञापन दिया। हर बार विज्ञापन शीघ्र जारी करने का आश्वासन मिला। साल बीत रहा है, लेकिन अभ्यर्थियों का इंतजार खत्म नहीं हुआ।


नियमावली में संशोधन, अर्हता का पेचएपीएस की सेवा नियमावली में संशोधन होना है। शासन स्तर से संशोधन के बाद आयोग एपीएस भर्ती का विज्ञापन जारी करेगा। अभ्यर्थी नौकरी के लिए भटक रहे हैं, लेकिन शासन स्तर से वर्षों बाद भी नियमावली में संशोधन नहीं किया जा सका। वहीं, एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में समकक्ष अर्हता का विवाद है, जिस पर शासन को स्थिति स्पष्ट करनी है। शासन ने इस पर भी स्थिति स्पष्ट नहीं की और भर्ती अब तक फंसी हुई है।


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