Header Ads

अगर हम सारे सरकारी कर्मचारियों की कार्य प्रणाली की तुलना करें तो सबसे ईमानदार शिक्षक वर्ग ही है. जानिए कैसे?


अगर हम सारे सरकारी कर्मचारियों की कार्य प्रणाली की तुलना करें तो सबसे ईमानदार शिक्षक वर्ग ही है ।- जानिए कैसे?
अगर हम सारे सरकारी कर्मचारियों की कार्य प्रणाली की तुलना करें तो सबसे ईमानदार शिक्षक वर्ग ही है ।





कैसे?

ये आप निम्नलिखित बिंदुंओ से समझ सकते हैं :



1-शिक्षक ने आज तक किसी से भी एक रुपये की रिश्वत नही ली होगी । आप एक शिक्षक दिखा दीजिये जो रिश्वत लेता हो ।


2-कोई भी शिक्षक अपने विद्यालय में एक घण्टा दो घण्टा देरी से विद्यालय नही जाता जैसे अन्य सरकारी महकमों का हाल है जिसमे एक पटल बाबू तक नियमित समय पर नही आता अधिकारियों की तो बात ही छोड़ दीजिए।



3- सफाई कर्मी, माली , चौकीदार के बिना भी शिक्षक विद्यालय की व्यवस्था सम्भालते हैं ।आप प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के कार्यालय जाकर देख लीजिए सफाई कर्मी की उचित व्यवस्था के उपरांत भी कार्यालयों की दीवारें पान गुटके की पीक से रँगी हुई होती हैं और किसी शौचालय की दीवार से भी गन्दी होती हैं लेकिन उन कार्यालयों की फ़ोटो खींचने की हिम्मत न तो पत्रकारों में है और न जनता में ।



4-विद्यालय में शौचालयों को 100 बच्चे प्रयोग में लाते हैं फिर भी विधालयों के शौचालय अन्य सरकारी कार्यालय के मुकाबले कम गन्दे होते हैं यदि सफाई कर्मी जो कि अन्य विभाग का कर्मचारी है सही से कार्य कर दे तो शौचालय कभी गन्दे ही न मिले शिक्षक अपने पास से पैसे देकर दूसरे लोगों से सफाई कराते हैं ।


5-किसी भी कार्यालय में चले जाइये अधिकारी की नाक के नीचे खुलेआम रिश्वत का खेल चल रहा होता है ।तो क्या ये भृष्टाचार नही कहलाता किसी विद्यालय में ये व्यवस्था बता दीजिए।


6-विद्यालय खुले हुए , सत्र प्रारंभ हुए 4 माह होने को हैं अभी तक पुस्तकें नही मिली । शिक्षक बिना पुस्तकों के पढ़ा रहा है।


है किसी पत्रकार में हिम्मत जो सच लिख सके, शायद नहीं ।

यदि यही व्यवस्था शिक्षक के हाथ में होती तो न जाने कितने धमकी भरे पत्र शासन से जारी हो चुके होते जिसमे वेतन अवरुद्ध होने या निलम्बन की धमकी होती और हाँ पत्रकार महोदय और मानसिक विकलांग जनता में पुस्तकें न मिलना चर्चा का विषय होता।


7-अभिभावकों की उदासीनता के उपरांत भी परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों को हम शिक्षक प्रेरित करते रहते हैं ।


8-5 मिनट या 15 मिनट कभी-कभार लेट हो जाने वाला शिक्षक यदि भ्रष्ट है तो बाकी महकमें तो भ्रष्टतम हैं कभी उनकी हकीकत लिखकर दिखाइए।


यदि यह बातें किसी को बुरी लगी हों तो क्षमा कीजिएगा।

कोई टिप्पणी नहीं