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अनुदेशकों के मामले में पूरी नहीं हुई बहस, सुनवाई अब 20 मई को


उत्तर प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत लगभग 27000 से अधिक अनुदेशकों का मानदेय 17000 रुपया प्रतिमाह देने के एकल जज के निर्णय के खिलाफ प्रदेश सरकार की अपीलों पर बुधवार को भी सुनवाई जारी रही। प्रदेश सरकार ने मामले में लखनऊ इलाहाबाद हाईकोर्ट दोनों जगह अपीलें दाखिल कर रखी है। लखनऊ से वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए वहां के वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्रा तथा इलाहाबाद हाईकोर्ट से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी इस मामले में सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे हैं।


सरकार की ओर से तर्क दिया गया कि अनुदेशकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई है और ऐसे में संविदा में दी गई शर्तें और मानदेय उन पर लागू होगा। कहा गया कि केंद्र सरकार ने इस मद में आवश्यकतानुसार पैसा राज्य सरकार को अपने अंश का नहीं दिया है। ऐसे में सरकार अपने स्तर से अनुदेशकों के मानदेय का भुगतान कर रही है।

आज अनुदेशकों की तरफ से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ के समक्ष बहस की गई। अनुदेशकों की तरफ से कहा गया कि केंद्र सरकार ने अपनी योजना के तहत परिषदीय विद्यालयों के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत अनुदेशकों का मानदेय 2017 में 17 हजार रुपये कर दिया था।

कहा यह भी गया की केंद्र सरकार द्वारा पैसा रिलीज करने के बावजूद उनको 17000 प्रतिमाह की दर से पैसा नहीं दिया जा रहा है जो गलत है। समयाभाव के कारण सरकार के इन अपीलों पर सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। कोर्ट अब 20 मई को इस मामले पर सुनवाई करेगी।

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