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शिक्षक भर्ती को छह साल बीतने को, मगर अभी तक नहीं हो सका शिक्षकों का सत्यापन

 शिक्षक भर्ती को छह साल बीतने को, मगर अभी तक नहीं हो सका शिक्षकों का सत्यापन

बरेली: बेसिक शिक्षा विभाग में वर्ष 2016 में हुई 15 हजार शिक्षक भर्ती हुई थी। करीब छह वर्ष पूरे होने के बाद भी अभी तक तमाम शिक्षकों का सत्यापन नहीं हुआ है। उनके सभी ऑरिजनल डॉक्यूमेंट्स बीएसए कार्यालय में ही पड़े हुए है। शिक्षकों का आरोप है कि कुछ शिक्षकों के डॉक्यूमेंट्स खो गए है तो कुछ के चूहों ने कुतर दिए है।



जब भी शिक्षक अपने डॉक्यूमेंट्स की बात करते है तो कुछ-न कुछ बहाना बना दिया जाता है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होना लाजिमी है कि आखिर छह वर्षों से सत्यापन क्यों नहीं हुआ। हांलाकि बीएसए का कहना है कि अधिकांश का सत्यापन हो चुका है।

करीब 200 शिक्षक ऐसे जिनका नहीं हो सकता सत्यापन
शिक्षक संगठनों का कहना है कि वर्ष 2016 में भर्ती हुए शिक्षकों में से करीब 200 शिक्षक ऐसे है जिन्हें आज तक अपने सत्यापन का इंतजार है। मगर उनका अभी तक सत्यापन नहीं हो सका है। शिक्षकों ने बीएसए को ज्ञापन के साथ रिमांइडर भी भेजा है। शिक्षकों को यह डर है कि उनके कागजात कहीं खराब तो नहीं हुए। हालांकि कई शिक्षकों ने तो कागजात खराब होने और चूहों से कुतरे जाने का भी आरोप लगाया है।

बीएसए को भी सौंप चुके है कई बार ज्ञापन
यूटा के बिथरी ब्लॉक के अध्यक्ष जितेंद्र गंगवार का कहना है कि इस मामले को लेकर तमाम शिक्षक और शिक्षक संगठन बीएसए को कई बार ज्ञापन भी सौंप चुके है। मगर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी।

हैरत की बात है कि शिक्षा विभाग छह वर्षों में यह पता ही नहीं कर पाया कि कौन शिक्षक सही है कौन फर्जी। जिसकी वजह से विभाग की कार्यशैली पर भी तमाम सवाल खड़े हो गए है। जितेंद्र गंगवार का कहना है कि सत्यापन नहीं होने की वजह से तमाम शिक्षकों में रोष है।

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