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कोविड ड्यूटी में मानदेय की विसंगतियों पर सवाल

 कोविड ड्यूटी में मानदेय की विसंगतियों पर सवाल

लखनऊ: सरकारी कोविड अस्पतालों में डाक्टर और अन्य स्टाफ जरूरत के अनुरूप नहीं है। मानव संसाधन बढ़ा कर अन्य डाक्टर और कार्मिकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने प्रोत्साहन स्वरूप अतिरिक्त मानदेय देने का फैसला किया है। इसके तहत डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ और सफाई कर्मी आदि को मूल वेतन का 25 फीसद अतिरिक्त दिया जाना है। इसके अलावा आउटसोर्स किए जाने वाले को भी निर्धारित दर से 25 फीसद अतिरिक्त मानदेय दिया जाना तय हुआ है, जबकि लैब के कार्मिकों को दस फीसद अतिरिक्त मानदेय दिया जाना है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी पदों पर नियुक्ति-तैनाती की प्रक्रिया और मानदेय आदि तय कर दिया है। मगर, इसमें विसंगतियों को लेकर एमबीबीएस छात्रों की ओर से ही सवाल उठाया जा रहा है।


दरअसल, स्नातकोत्तर कर चुके निश्चेतक, फिजीशियन और चेस्ट फिजीशियन को 5000 रुपये मानदेय प्रतिदिन, प्रति शिफ्ट मिलेगा। एमबीबीएस कर चुके डाक्टर को 2500 रुपये, एमबीबीएस इंटर्न को 500 रुपये और एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र-छात्रओं को तीन सौ रुपये दिया जाना तय हुआ है। वहीं, स्टाफ नर्स को 750 रुपये, एमएससी नर्सिंग छात्र-छात्रओं को 400 रुपये, बीएससी/जीएनएम नर्सिंग छात्र-छात्रओं को 300 रुपये और वार्ड ब्वॉय व सफाई कर्मियों के लिए 359 रुपये मानदेय तय हुआ है। इस मानदेय के निर्धारण को एमबीबीएस छात्र विसंगतिपूर्ण मानते हैं।

उनका कहना है कि एमबीबीएस अंतिम वर्ष के छात्र-छात्रओं की दक्षता को देखा जाना चाहिए। उन्हें वार्ड ब्वॉय और सफाई कर्मियों से भी कम मानदेय देना उचित नहीं है। वहीं, महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा डा. केके गुप्ता का तर्क है कि मानदेय के निर्धारण के समय इस ¨बदु पर विचार किया गया था। छात्रों को संबंधित संस्थान में ही कोविड ड्यूटी करनी है। छात्रों को मानदेय की कोई व्यवस्था नहीं है। चूंकि उनसे पढ़ाई के अतिरिक्त कोविड वार्ड में ड्यूटी ली जा रही है, इसलिए प्रोत्साहन के लिए राशि तय कर दी है। वहीं, सफाई कर्मी या वार्ड ब्वॉय सहित अन्य कार्मिक की यह आजीविका है। उसे ध्यान में रखते हुए उनका मानदेय तय हुआ है।

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