Header Ads

UP: वीवीआइपी बेसिक स्कूलों में वर्षों से जमें सरप्लस शिक्षकों पर गिरेगी गाज, इसलिए हैं वीवीआइपी विद्यालय

 UP: वीवीआइपी बेसिक स्कूलों में वर्षों से जमें सरप्लस शिक्षकों पर गिरेगी गाज, इसलिए हैं वीवीआइपी विद्यालय

आगरा,  शहरी क्षेत्र से लगे ग्रामीण ब्लाकों में आपको तमाम वीवीआइपी परिषदीय विद्यालय मिल जाएंगे, जहां विद्यार्थी संख्या भले कम हो, लेकिन शिक्षक दर्जनों की संख्या में भरे हैं। लेकिन अब ऐसे शिक्षकों के लिए मुश्किल समय आ रहा है। शासन के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ऐसे शिक्षकों की ट्रांसफर बड़े स्तर पर करने की तैयारी में जुटी है।


परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में विभाग ने करीब 72 हजार से ज्यादा ऐसे शिक्षकों को चिन्हित भी कर लिया हैं, जो जरूरत के अनुसार सरप्लस हैं। उन्हें चिन्हित करने में आनलाइन व्यवस्था मददगार साबित हो रही है। लिहाजा जहां-जहां सरप्लस, यानी जरूरत से अधिक हैं, उन्हें वहां से हटाकर जरूरत वाले विद्यालयों में भेजा जाएगा। इसके लिए शासन स्तर से पालिसी बनाने पर काम चल रहा है।



इसलिए हो रही कवायद
दरअसल शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू हुए नौ साल से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन अब तक मानकों के अनुरूप विद्यालयों में शिक्षकों की तैनाती नहीं हो पाई है। इस कमी को दूर करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग शुरुआत इन सरप्लस शिक्षकों से करने की तैयारी की है। इसके लिए विभाग ने अंतर जनपदीय व पारस्परिक स्थानांतरण के बाद जिलों के अंदर के विद्यालयों में स्थानांतरण व समायोजन के माध्यम से मानकों के अनुरूप शिक्षकों की तैनाती करने की मशक्कत में जुटा है।



आनलाइन व्यवस्था से काम होगा आसान
शासन ने शिक्षकों से लेकर विद्यालयों तक की व्यवस्था आनलाइन कर दी है। अब शासन के पास पूरी सूचना है कि किस विद्यालय में कितने विद्यार्थियों पर कितने शिक्षक काम कर रहे हैं। इसलिए इस व्यवस्था के मददगार साबित होने की उम्मीद है। बता दें कि केंद्र ने भी प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में 72,353 शिक्षकों को सरप्लस करार देकर उनकी तैनाती नियमानुसार करने के निर्देश दिए थे। आरटीई के मानक अनुसार प्राथमिक में कक्षा एक से 5 तक में 30 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक का नियम है। जबकि जूनियर में 35 विद्यार्थियों पर एक शिक्षक की अनिवार्यता है। लेकिन प्रदेश में कई विद्यालय ऐसे हैं, जहां शिक्षक तो छह-सात तैनात हैं लेकिन विद्यार्थी 100 भी नहीं। ऐसे विद्यालयों की संख्या शहरी और शहर से सटे ग्रामीण विद्यालयों में हैं, जहां शिक्षक जरूरत से ज्यादा तैनात है।


इसलिए हैं वीवीआइपी विद्यालय
इन विद्यालयों को वीवीआइपी विद्यालय भी कहा जाता है, क्योंकि इनमें तैनात कोई भी शिक्षक सामान्य नहीं हैं। कोई किसी अधिकारी का रिश्तेदार है, तो कोई किसी नेता का। स्थिति यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी उनकी ऊंची पहुंच देखकर उनमें से एक से भी कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। यह वीवीआइपी विद्यालय बरौली अहीर, बिचपुरी, खंदौली, अछनेरा आदि हैं।

कोई टिप्पणी नहीं