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नए बजट में डीए फ्रीज करने का फैसला वापस लिए जाने, इनकम टैक्स सीमा बढाये जाने, एरियर देने, पुरानी पेंशन समेत अन्य मुद्दों पर चुप्पी से कर्मचारियों नाराजगी

 नए बजट में डीए फ्रीज करने का फैसला वापस लिए जाने, इनकम टैक्स सीमा बढाये जाने, एरियर देने, पुरानी पेंशन समेत अन्य मुद्दों पर चुप्पी से कर्मचारियों नाराजगी

संसद में सोमवार को पेश बजट से कर्मचारियों में घोर निराशा है। रिकार्ड जीएसटी के बाद कर्मचारियों में उम्मीद थी कि डीए फ्रीज करने का आदेश वापस लिए जाने के साथ एरियर की भी घोषणा की जाएगी। इसके अलावा आयकर में छूट की भी उम्मीद थी लेकिन इनके साथ पुरानी पेंशन समेत अन्य मुद्दों पर चुप्पी ने कर्मचारियों की नाराजगी बढ़ा दी है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में विनिवेश की घोषणा ने उनकी निराशा और बढ़ा दी है।



गवर्नमेंट पेंशनर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष पूर्व मंडलायुक्त आरएस वर्मा ने बजट को साधारण बताया। उनका कहना है कि बजट में आम लोगों और कर्मचारियों को कोई राहत नहीं दी गई है। आईआईटी जैसे शिक्षण संस्थान, हॉस्पिटल, मेडिकल कालेज, उद्योग लगाने जैसी कोई पहल नहीं की गई है। यह निराश करने वाला है।


उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष नरसिंह का कहना है कि पुरानी पेंशन, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की भर्ती शुरू करने, इनकम टैक्स में छूट आदि बिंदुओं पर सरकार पूरी तरह से मौन है। इसलिए कर्मचारियों की दृष्टि से यह बजट काफी निराश करने वाला है। 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को आईटीआर से छूट दी गई है। यह छूट 60 साल की उम्र से होनी चाहिए थे। पीडब्ल्यूडी नियमित वर्कचार्ज कर्मचारी संघ क्षेत्रीय मंत्री रविशंकर मिश्र का कहना है कि पुरानी पेंशन पर सरकार मौन है।

इनकम टैक्स के स्लैब में कोई परिवर्तन न करके भी सरकार ने बताया कि वह कर्मचारी विरोधी है। इलाहाबाद डिवीजन इंश्योरेंस इंप्लाइज यूनियन के पूर्व अध्यक्ष अविनाश कुमार मिश्र ने इसे घोर निराशाजनक वाला बजट बताया। बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा 74 फीसदी करने के प्रस्ताव को उन्होंने घातक बताया। उनका कहना है कि असंगठित क्षेत्र के 41 करोड़ कामगारों के लिए बजट में कुछ नहीं है। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार त्रिपाठी ने भी बजट को निराशाजनक बताया। उनका कहना है कि कर्मचारी, अधिकारी, श्रमिक, मजदूर किसी के लिए बजट में कुछ नहीं है।
किसानों के लिए योजनाएं तो अच्छी हैं लेकिन प्रक्रिया भी सरल हो
कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन के बीच सोमवार को पेश केंद्रीय बजट को लेकर किसानों का एक वर्ग उत्साहित है तो कई निराश भी हैं। किसानों का कहना है कि खेती के लिए बजट में अलग से प्रावधान है। इसके अलावा किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई अन्य प्रावधान भी किए गए हैं लेकिन प्रक्रिया का भी सरलीकरण होना चाहिए।

धरावत्स बायो एनर्जी फार्मर प्रोड्यूसर के त्रिभुवन नाथ पटेल का कहना है कि हर वर्ष केबजट में किसानों का ध्यान रखा जाता है। इस बार भी बजट में किसान हित में कई प्रावधान किए गए हैं लेकिन किसान नियमों की खानापूर्ति में ही फंस जाता है। किसान को योजनाओं में शामिल होने के लिए एक ही कागज हर बार देने होते हैं। जबकि सबकुछ ऑनलाइन हो चुका है। नियमों के प्रति बहुत जागरूक नहीं होने की वजह से उनका शोषण भी होता है। इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। जसरा के जीत लाल का कहना है कि बीज में सब्सिडी समेत अन्य योजनाओं में बड़े किसानों को भी शामिल किया जाना चाहिए।
कारपोरेट घरानों का रखा गया है ध्यान
सपा नेताओं ने बजट को सभी वर्ग के लिए निराश करने वाला बताया। महंगाई पर नियंत्रण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। वरिष्ठ नेता राज्यसभा सदस्य रेवती रमण सिंह ने बजट को किसान विरोधी और उद्योगपतियों का हितैषी बताया। उन्होंने कहा कि सरकार के दावे सिर्फ कागजी बाजीगीरी है। जैसे 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का पता नहीं चला उसी तरह से इस बजट से भी आमलोगों को कोई लाभ नहीं होगा।

जिला इकाई की बैठक में भी बजट को निराशाजनक बताया गया। जिलाध्यक्ष योगेश चंद्र यादव ने कहा कि सबकुछ निजी तंत्र के हवाले होता जा रहा है। बजट में निजीकरण को प्रोत्साहित किया गया है। यह बजट महंगाई और बेरोजगारी को और बढ़ाने वाला है। प्रवक्ता दान बहादुर मधुर ने तंज कसा कि आम बजट में पूंजीपतियों को सरकार पर निर्भर रहने और मध्यम वर्ग एवं गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की गई है। बैठक में संदीप सिंह पटेल, राम सुमेर पाल, पंचू राम निषाद आदि मौजूद रहे। महानगर प्रवक्ता सै.मो.अस्करी ने कहा कि यह बजट महंगाई बढ़ाने वाला है।

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