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टीजीटी-पीजीटी 2016 : सत्यापन के बिना कर दी पोस्टिंग, ठोकरें खा रहे शिक्षक- शिक्षिकाएं, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की गलती का भुगत रहे खामियाजा

 टीजीटी-पीजीटी 2016 : सत्यापन के बिना कर दी पोस्टिंग, ठोकरें खा रहे शिक्षक- शिक्षिकाएं, माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की गलती का भुगत रहे खामियाजा

प्रयागराज : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की एक गलती का खामियाजा दर्जनों मेधावी भुगत रहे हैं। सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी) और प्रवक्ता (पीजीटी) 2016 की भर्ती में चयनित शिक्षक पदभार ग्रहण करने के लिए तीन चार महीने से सरकारी कार्यालयों की ठोकरें खारहे हैं। पदों का सत्यापन कराए बगैर चयन बोर्ड ने स्कूल आवंटित कर दिया और जब चयनित शिक्षक कार्यभार ग्रहण करने संबंधित स्कूल पहुंचे तो प्रबंधकों ने उन्हें उल्टे पैर लौटा दिया।

चयन बोर्ड का नियम रहा है कि स्कूल आवंटन करने से पहले एक बार पदों का सत्यापन कराया जाता है। इसके पीछे कारण यह है कि भर्तियों में तीन चार साल का समय लग जाता है। इस बीच चयन बोर्ड जिन पदों पर भर्ती का विज्ञापन निकालता है उनमें से कई पद अलग-अलग कारणों से भर जाते हैं। लेकिन इस बार सत्यापन कराए बगैर स्कूल आवंटन कर दिया गया।


तीन साल पहले भर गया पद, फिर भी कर दी पोस्टिंग

गऊघाट मुट्ठीगंज की शिवांगी मिश्रा को ही लें। प्रवक्ता संगीत गायन पर चयन के बाद उन्हें मोतीलाल नेहरू मेमोरियल गर्ल्स इंटर कॉलेज लखनऊ आवंटित हुआ। शिवांगी जब कार्यभार ग्रहण करने पहुंची तो पता चला की वहां 2017 से ही प्रवक्ता कार्यरत हैं। 2016 में जिस पद पर चयन बोर्ड ने भर्ती शुरू की थी उसे 2017 में ही समायोजन से भर लिया गया। दुःखद है कि चयन बोर्ड ने यह स्कूल शिवांगी को आवंटित करने से पहले पद खाली होने का सत्यापन नहीं कराया। जिसका नतीजा यह है कि आज शिवांगी स्कूल से लेकर डीआईओएस लखनऊ कार्यालय, शिक्षा निदेशालय और चयन बोर्ड के चक्कर काट रही हैं । शिवांगी समेत 38 ऐसे अभ्यर्थियों की सूची हिन्दुस्तान के पास है जो 2016 की भर्ती में चयन के बावजूद कार्यभार ग्रहण करने के ठोकरें खा रहे हैं ।

नियुक्ति पर रोक के बाद भी अल्पसंख्यक स्कूल में हुआ आवटन

प्रदेश सरकार ने तीन साल से अल्पसंख्यक स्कूलों में नियुक्ति पर रोक लगा रखी है लेकिन इसके बावजूद चयन बोर्ड ने आवंटन कर दिया। मेरठ की आरती कुमारी का चयन टीजीटी गणित के पद पर हुआ था। चयन बोर्ड ने उन्हें जैन इंटर कॉलेज जेवर गौतमबुद्धनगर स्कूल आवंटित किया। वहां पहुंचने पर आरती को पता की स्कूल अल्पसंख्यक है इसलिए कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जा सकता। ऐसी अनेकों गलतियां स्कूल आवंटन में हुई है।

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