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शिक्षा नीति पर राज्यों की आशंकाओं को दूर करेगी सरकार, नई शिक्षा नीति पर असहमति जताने वाले राज्य सरकारों के साथ की जाएगी अलग-अलग चर्चा

शिक्षा नीति पर राज्यों की आशंकाओं को दूर करेगी सरकार, नई शिक्षा नीति पर असहमति जताने वाले राज्य सरकारों के साथ की जाएगी अलग-अलग चर्चा

नई दिल्ली : राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में ज्यादा लचीला रुख अपनाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आश्वासन के बाद शिक्षा मंत्रलय अब इस पर सवाल उठा रहे राज्यों के साथ अलग से चर्चा की तैयारी में जुट गया है। मंत्रलय का मानना है कि नीति का अमल तभी तेजी से हो पाएगा, जब इससे जुड़े सभी विषयों को लेकर आपसी समझ बढ़ेगी। साथ ही नीति के उद्देश्य स्पष्ट होंगे।


अब तक जिन राज्यों से असहमति या आशंकाएं सामने आई हैं, उनमें बंगाल, तमिलनाडु और दिल्ली शामिल हैं। मंत्रलय से जुड़े सूत्रों की मानें तो इन राज्यों के साथ ही जल्द ही अलग-अलग चर्चा की जाएगी। साथ ही उनकी आशंकाओं को समझा जाएगा और जवाब भी दिया जाएगा।

मंत्रलय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक शिक्षा नीति के अमल को लेकर सभी साझीदारों के साथ चर्चा की जो मुहिम शुरू की गई है, इससे पीछे भी यही उद्देश्य है कि इसको लेकर किसी तरह का कोई भ्रम न रहे। यह चर्चा पूरे सितंबर महीने अलग-अलग चरणों में होगी। इसके तहत राज्यपालों और राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के बाद अब सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों के निदेशकों के साथ बैठक होगी। यह बैठक 19 सितंबर को हो सकती है। इसके बाद शिक्षाविदों, शिक्षकों, अभिभावकों, छात्रों के साथ भी चर्चा होगी।

सभी विश्वविद्यालयों से भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर कई दौर की चर्चा करने के लिए कहा गया है। साथ ही इसका फीडबैक भी मांगा गया है। इस बीच अब इन राज्यों के साथ भी चर्चा की योजना बनाई जा रही है। गौरतलब है कि शिक्षा नीति को लेकर बंगाल, तमिलनाडु और दिल्ली ने सवाल उठाया था। बंगाल ने इसे लागू नहीं करने का एलान किया है। बाकी राज्यों ने भी अलग-अलग सवाल खड़े किए हैं।

’>>प्रधानमंत्री के आश्वासन के बाद शिक्षा मंत्रलय हुआ सक्रिय

’>>सभी की आशंकाओं और सवालों का दिया जाएगा जवाब

’>>बंगाल, तमिलनाडु, दिल्ली के रुख के बाद तेज हुई तैयारी

टकराव नहीं चाहता केंद्र

फिलहाल नीति के अमल को लेकर राज्यों के साथ केंद्र किसी तरह के टकराव के मूड में नहीं है। वैसे भी पीएम मोदी ने सोमवार को राज्यपालों के सम्मेलन में साफ कर दिया था कि शिक्षा नीति सरकार की नहीं है। यह देश की नीति है। इसे सभी को मिलजुल कर लागू करना है।

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