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नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी नई शिक्षा नीति: निशंक

नए भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगी नई शिक्षा नीति: निशंक

केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबनेट के फैसले पर प्रेस ब्रीफिंग करते हुए कहा कि मोदी सरकार ने 21वीं सदी को देखते हुए नई शिक्षा को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले 34 वर्षों से शिक्षा नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

प्रेस ब्रीफिंग के दौरान हायर एजुकेशन सेक्रेटरीअमित खरे ने कहा, शिक्षा में कुल जीडीपी का अभी करीब 4.4 फीसदी खर्च हो रहा  है, लेकिन उसे 6 फीसदी करने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दी और इंग्लिश भाषाओं के अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में भी ई-कोर्सेज शुरू होंगे। वर्चुअल लैब बनाई जाएगी इसके साथ ही नेशनल एजुकेशन टेक्नॉलोजी फोरम बनाया जा रहा है।


खरे ने कहा कि नई शिक्षा नीति से हम 2035 तक 50 फीसदी सकल नामांकन अनुपात (Gross Enrollment Ratio) को हासिल करेंगे। उन्होंने कहा, हायर एजुकेशन में कई सुधार किए गए हैं। सुधारों में ग्रेडेड अकैडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनैंशनल अटॉनोमी आदि शामिल है।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि नए भारत के निर्माण में नई शिक्षा नीति 2020 मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा किसी भी परिवार, राष्ट्र की आधारशिला होती है। पोखरियाल ने कहा कि जो सुझाव आए हमने उनका व्यापक विश्लेषण किया और निचोड़ पर आकर कैबिनेट में अपनी सहमित दी है। उन्होंने कहा कि आज के इस ऐतिहासिक मौके पर छात्रों को बधाई देना चाहता हूं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहुप्रतीक्षित नयी शिक्षा नीति को बुधवार को आखिरकार मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति को मंजूरी दी गई। बैठक में मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी मौजूद थे।

गौरतलब है कि जब स्मृति ईरानी पिछली सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री बनी थीं, तब से नई शिक्षा नीति बनाने की कवायद शुरू हुई और इस तरह करीब छह साल बाद इस शिक्षा नीति को अंतिम रूप दिया गया और अंतत: मोदी मंत्रिमंडल ने इस पर मुहर लगा दी।

इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने कार्यकाल में नई शिक्षा नीति बनाई थी। देश में इस बीच शिक्षा के क्षेत्र में आए परिवर्तन को देखते हुए सरकार ने नई शिक्षा नीति का निमार्ण किया ताकि बदली हुई परिस्थितियों में, विशेषकर प्रौद्योगिकी में आए बदलाव के मद्देनजर डिजिटल शिक्षा और नवाचार को इसमें शामिल किया जा सके।

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