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आखिर सशर्त लॉकडाउन को बढ़ाने के अलावा विकल्प ही क्या है?

आखिर सशर्त लॉकडाउन को बढ़ाने के अलावा विकल्प ही क्या है?

नीति आयोग के सदस्य और भारत सरकार के रणनीतिकारों के लिए यह समय बेहद संवेदनशील है। सूत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार लॉकडाउन पर अंतिम राय बनाने में लगी है। अकेले मुंबई में संक्रमितों की संख्या सोमवार शाम तक 5,589 को पार कर चुकी है। दिल्ली में 3108 तो अहमदाबाद में 1298 संक्रमित हो चुके हैं।
मध्य प्रदेश के इंदौर में 915 से अधिक संक्रमित हो चुके हैं। सूत्र बताते  हैं कि यह स्थिति तब है, जब अभी कोविड-19 संक्रमितों का व्यापक परीक्षण नहीं हो पाया है। यह वायरस है और जब तक होस्ट सेल में रहता है, अपनी प्रतिकृति बना कर दूसरे को संक्रमित करने का खतरा बरकरार रहता है। इसलिए अभी भी लॉकडाउन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है। बताते हैं देश के 429 जिलों में कोविड-19 के संक्रमित हैं। संक्रमितों की संख्या अब 30 हजार को पार करने वाली है। संक्रमण से मरने वालों की संख्या एक हजार तक पहुंचने वाली है और लोगों को ठीक किए जाने की दर 22 फीसदी ही हैं। इसलिए अभी बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है।
लॉकडाउन में छूट की चुनौती!
देश के फेफड़ों यानी पल्मोनरी विभाग के जाने-माने चिकित्सक का मानना है कि लॉकडाउन से छूट बहुत कड़ी शर्त के साथ ही संभव है। उनकी राय में जहां भी कोविड-19 का स्तर काफी अधिक है, उस जिले की पूरी सीमा सील की जानी जानी चाहिए। जैसे मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, इंदौर में लॉकडाउन का सख्ती से पालन होना चाहिए।
ऐसा इसलिए क्योंकि अभी कोविड-19 की न तो रैंडम बेस सैंपलिंग हो पाई और न ही कोई रणनीतिक तरीके से जांच आगे बढ़ सकी है। सूत्र का कहना है कि चीन की रैपिड टेस्ट किट के फेल से होने से जांच प्रक्रिया को गहरा झटका लगा है।

एम्स के भी एक चिकित्सक का मानना है कि अभी देश में कोविड-19 की कुछ ठीक से जांच मई महीने में हो पाने के आसार हैं। राम मनोहर लोहिया अस्पताल में कोविड-19 के इलाज से जुड़े वरिष्ठ प्रोफेसर का भी यही अनुमान है। सूत्र का कहना है कि 20 मई के आसपास भारत में संक्रमितों की संख्या 50 हजार तक जा सकती है।

इसलिए सरकार को लॉकडॉउन, सोशल डिस्टेंसिंग, विभिन्न तरह की सावधानी पर गंभीरता से रणनीति बनानी होगी। मैक्स, वैशाली के डा. अश्विन चौबे का कहना है कि जिस तरीके से कर्नाटक और केरल ने लॉकडॉउन का पालन किया है, कोविड-19 से बड़े पैमाने पर संक्रमित क्षेत्रों में उसी तरह से काम करना जरूरी है।

लेकिन उस तरह से काम करने की जो व्यावहारिक चुनौतियां बनी हुई हैं, उनसे पार पाने के मजबूत हालात बन नहीं पा रहे।
सरकार भारी दबाव में
उड़ीसा ने लॉकडाउन को बढ़ाने की वकालत की। तब जबकि वहां कोविड-19 का संक्रमण करीब-करीब नियंत्रण में है। वहीं रिकवरी रेट, डेथ रेट, संक्रमितों की संख्या के लिहाज से केरल के नतीजे बहुत उत्साहजनक हैं। गोवा संक्रमण से मुक्त हो चुका है।

लेकिन देश में कोविड-19 की चिंतनीय तस्वीर महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश बना रहे हैं। गुजरात में संक्रमितों की संख्या 3550, महाराष्ट्र में 8600 को पार कर गई है। यहां भी संक्रमण उन्हीं क्षेत्रों में है जहां व्यवसायिक गतिविधियां काफी अधिक है।

व्यावसायिक गतिविधियों वाले इलाकों और उद्योगों की कई तरह की चुनौतियां हैं जो सुलझ नहीं रही हैं। वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े फार्मास्युटिकल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन और सीआईआई नार्थ इंडिया के अध्यक्ष दिनेश दुआ का भी कहना है कि एमएसएमई की दशा बेहद खराब है।

बिना राहत पैकेज के इस क्षेत्र का खड़ा हो पाना मुश्किल हैं। एमएसएमई इंटरप्राइजेज के अनिल भारद्वाज के अनुसार एमएसएमई के कई सेक्टर तो बिल्कुल बैठ चुके हैं। ट्रांसपोर्ट, पर्यटन, सर्विस सेक्टर का हाल काफी बुरा है।

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के एक निदेशक ने स्वीकार किया कि व्यवसायिक गतिविधियां ठप होने से न केवल छोटे व्यापारियों को नुकसान हुआ है, बल्कि राज्य सरकारों की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है और केंद्र सरकार के स्तर पर यह मामला अभी तक विचाराधीन है।