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विभागीय छवि धूमिल करने में खंड शिक्षा अधिकारी किए गए निलंबित


हरदोई बेसिक शिक्षा विभाग में विभागीय मिलीभगत से शिकायतों के नाम पर धन वसूली के आरोप में पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई हुई है। जिलाधिकारी के पूरा मामला संज्ञान में लेने के बाद न केवल इस मामले में तत्कालीन बीईओ समेत पांच पर एफआइआर दर्ज कराई गई थी। बल्कि बीईओ को निलंबित कर उच्च स्तरीय जांच शुरू की गई है। विभाग में ऐसे मामले तो कई बार आए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी। अब हुई कार्रवाई चर्चा का विषय बनी हुई है।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि



निलंबित बीईओ अशोक यादव जागरण पिछले काफी दिनों से शिकायतों के नाम पर विभागीय कर्मचारियों, शिक्षकों का शोषण किया जा रहा था। इसकी शिकायत होने पर जिलाधिकारी के आदेश पर उनके साथ एसडीएम शाहाबाद, सीओ शाहाबाद ने जांच की थी। डीएम

शिकायतों के नाम पर ही आर्थिक

के आदेश पर बीईओ अशोक कुमार के मोबाइल की जांच हुई तो इसमें गंभीर बात सामने आई और अभिलेखों के साथ ही रिकार्डिंग भी मिलीं थी, समिति ने करीब 900 पेज में अपनी जांच और 40 एमबी में रिकार्डिंग डीएम को सौंपी थी। इस पूरे खेल में विमलेश शर्मा, अतुल कुमार सिंह, रामशरण गुप्ता और भगत बाबा तेजगिरी शामिल थे, जोकि फर्जी शिकायतें करते और

और सामाजिक शोषण करते थे, जिलाधिकारी के आदेश पर ही सभी के विरुद्ध कोतवाली शहर में एफआइआर दर्ज कराई गई थी। कोतवाली पुलिस तो मामले की जांच कर ही रही है। जिलाधिकारी एमपी सिंह ने बीईओ को सत्यनिष्ठा संदिग्ध और उनके द्वारा किए गए कृत्य को विभाग के खिलाफ मानते हुए कार्रवाई के लिए शासन को लिखा था। डीएम की संस्तुति पर ही अपर शिक्षा निदेशक (बेसिक) ने बीईओ अशोक यादव को निलंबित कर दिया है और सहायक शिक्षा निदेशक (सेवा-दो) डा. ब्रजेश मिश्र की तरफ से मंगलवार को आदेश

जारी हुआ है। निलंबित बीईओ मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय से संबद्ध करते हुए एडी बेसिक को जांच सौंपी गई है।

हाई कोर्ट से नहीं मिली थी राहतः प्राशिसं के जिलाध्यक्ष आलोक मिश्र की शिकायत पर हुई पूरी जांच में दर्ज एफआइआर के खिलाफ आरोपित पक्ष उच्च न्यायालय भी गया था। जैसा कि आलोक मिश्र ने बताया कि उच्च न्यायालय ने इस मामले पर कड़ा रुख अख्तियार किया और ऐसा कृत्य करने वालों के खिलाफ वसूली और जेल भेजने तक की बात कही, जिसके बाद विमलेश शर्मा की तरफ से दाखिल याचिका वापस ले ली गई।

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