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बीएसए को दूसरे बीएसए, बेसिक शिक्षा सचिव के फैसले पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं

 प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, बुलंदशहर को पति के दिल्ली पुलिस में केंद्रीय अधिकारी होने की वजह से याची अध्यापिका को दस अंक देकर अमेठी से बुलंदशहर स्थानांतरित करने के बीएसए अमेठी तथा सचिव बेसिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के फैसले पर सवाल उठाने का अधिकार नहीं है।



कोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि किस कानूनी प्राधिकार से उन्होंने तबादला आदेश मानने से इन्कार किया है। याचिका की अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ल ने अर्चना तालिया की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।



याची का कहना है कि वह अमेठी में अध्यापिका के पद पर कार्यरत है। उसने बीएसए अमेठी से अंतरजनपदीय तबादले की मांग की। कहा, उसके पति दिल्ली पुलिस में अधिकारी हैं। बीएसए ने उसे दस अंक देकर सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद के पास संस्तुति भेजी। सचिव ने याची का बुलंदशहर तबादला कर दिया। किंतु बीएसए बुलंदशहर ने याची के पति को केंद्र सरकार का अधिकारी मानने के फैसले को ग़लत करार दिया। कहा, बीएसए अमेठी ने दस अंक देकर गलती की है।


कोर्ट ने कहा, एक बीएसए को दूसरे बीएसए तथा परिषद के सचिव के निर्णय पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। तबादले पर अमल न करने का आदेश कानून की दृष्टि में कायम रहने योग्य नहीं है। कोर्ट ने बीएसए बुलंदशहर के आदेश पर रोक लगाते हुए सफाई मांगी है कि किस अधिकार से ऐसा आदेश दिया है।

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