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राज्य कर: प्रमोशन न लेने वाले कर्मचारियों का तबादला अनिवार्य नया आदेश जारी, दंड के रूप में ट्रांसफर पर रोक, होगी संपत्ति की जांच


लखनऊ। राज्य कर विभाग का नया तबादला आदेश कर्मचारियों के लिए झटका देने वाला है। ट्रांसफर से बचने के लिए प्रमोशन न लेने वाले कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से अन्य कार्यालय भेजने के फरमान जारी किए गए हैं। भविष्य में भी ऐसे कर्मचारियों की संपत्ति को जांच के दायरे में रखकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

राज्य कर विभाग ने सोमवार को अराजपत्रित श्रेणी के सभी कर्मचारियों के लिए जारी तबादला आदेश में कई बदलाव किए गए हैं। इस श्रेणी में दस फीसदी कर्मचारियों के ट्रांसफर किए जा सकेंगे जो अधिकतम बीस फीसदी तक हो सकते हैं।


सचल दल और विशेष अनुसंधान शाखा में ट्रांसफर से पहले विभागाध्यक्ष को प्रमाणपत्र देना होगा कि संबंधित कर्मचारी तीन साल से इन शाखाओं में तैनात नहीं रहा है सबसे ज्यादा मारामारी सचल दल और एसआईबी में ही होती है। संदिग्ध कर्मचारियों की तैनाती संवेदनशील पदों पर नहीं की जाएगी.


दोषी कर्मचारियों का नहीं होगा स्थानांतरण

राज्य कर अपर आयुक्त (प्रशासन) ओपी वर्मा द्वारा जारी महत्वपूर्ण निर्देश में सजा के तौर पर ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई है। इसमें कहा गया है कि भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता और प्रतिकूल आचरण में दोषी कर्मचारियों का है ट्रांसफर कर दिया जाता है लेकिन इससे उन्हें दंड नहीं मिल पाता। अब ऐसे कर्मचारियों का ट्रांसफर नहीं किया जाएगा बल्कि वहीं रखकर उसकी जांच कर कार्यवाही की जाएगी। 2022-23 में जिन कर्मचारियों ने प्रमोशन नहीं लिया, उनका ट्रांसफर अनिवार्य होगा। उन्हें वर्तमान विभाग के अलावा कर निर्धारण, सचल दल और एसआईबी में पोस्टिंग नहीं दी जाएगी।








मान्यता प्राप्त कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष और सचिव को भी सशर्त ट्रांसफर के दायरे में लाया गया है। अब इनका अधिकतम दो साल ट्रांसफर नहीं होगा। जिन संगठनों में अध्यक्ष व सचिव का कार्यकाल दो वर्ष से अधिक है, वहां भी ये नियम लागू होंगे ट्रांसफर रोकने का प्रयास करना और आवेदन करना भारी पड़ेगा ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ जांच कर सस्पेंड किया जाएगा। निर्धारित अवधि तक नई तैनाती न लेने वाले कर्मचारियों का वेतन रोका जाएगा

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