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बीईओ निपुण स्कूलों की परखेंगे हकीकत, 10 दिनों में खंड शिक्षा अधिकारी भेजेंगे रिपोर्ट


बरेली जिले के चार परिषदीय स्कूलों को निपुण लक्ष्य एप पर निपुण विद्यालय घोषित किया गया है। यह विद्यालय वाकई निपुण हैं भी या नहीं। इसके लिए शासन खंड शिक्षा अधिकारियों से इन स्कूलों का सत्यापन कराएगा। खंड शिक्षा अधिकारियों के भी सत्यापन में यह पास हो जाते हैं तो शासन स्तर से एक टीम आकर जांच करेगी। उसकी फाइनल रिपोर्ट के आधार पर ही विद्यालय को निपुण
घोषित किया जाएगा।

निपुण भारत मिशन के तहत प्रदेश के सभी बेसिक स्कूलों को निपुण स्कूल बनने का लक्ष्य दिया था, जिसमें कक्षा एक से तीन तक के छात्र-छात्राओं को निपुण बनने के लिए अलग-अलग लक्ष्य थे। कक्षा एक के बच्चों को जोड़-घटाना के सवाल हल करना, दो अक्षरों के शब्द पढ़ना आना चाहिए। ऐसे ही कक्षा दो और तीन के लक्ष्य अलग थे। यह लक्ष्य कितने स्कूलों ने पूरा किया और कितने स्कूल निपुण बने। इसके लिए पहले चरण में आंतरिक सर्वे किया गया, जिसमें 236 स्कूल पास हुए थे। अब शासन के आदेशानुसार दूसरे चरण में पहले चरण के पास हुए 236 विद्यालयों का चार जनवरी तक डीएलएड प्रशिक्षुओं ने आकलन किया। उसकी सभी जानकारी निपुण एप के माध्यम से अपलोड कर दी। दूसरे चरण में 236 स्कूलों में से चार स्कूलों का चयन किया गया। इस सर्वे के लिए प्रशिक्षुओं ने रेंडम तरीके से अलग-अलग स्कूलों से 10-10 बच्चों को लिया था। उसके आधार पर बरेली के चार स्कूल निपुण स्कूल बने।

पहले नंबर पर बरेली के आलमपुर जाफराबाद ब्लाक का प्राथमिक विद्यालय बेहटा चौहान, दूसरे नंबर पर फतेहगंज पश्चिमी का प्राथमिक विद्यालय खड़गपुर, तीसरे नंबर फतेहगंज पश्चिमी का ही उदयपुर बन्नोजन और चौथे स्थान पर नवाबगंज का प्राथमिक विद्यालय तुमड़िया था।

10 दिनों में खंड शिक्षा अधिकारी भेजेंगे रिपोर्ट

शासन के आदेशानुसार जिन चार स्कूलों को एप पर निपुण दिखाया है। खंड शिक्षा अधिकारियों को उनका भौतिक सत्यापन करना होगा। 10 दिनों में उस सत्यापन की रिपोर्ट परियोजना कार्यालय को 'भेजनी होगी। इसके बाद शासन स्तर से एक और टीम आकर सर्वे करेगी। उसके सर्वे में जितने स्कूल पास होंगे। उन्हें जिले का निपुण स्कूल घोषित किया जाएगा।


हमारे यहां पहले चरण में 236 स्कूल निपुर्ण घोषित हुए थे। दूसरे चरण में चार का नाम शासन तक पहुंचा। अब खंड शिक्षा अधिकारियों से इनका निरीक्षण कराया जाएगा, जिससे हकीकत का पता चल सके. विनय कुमार, बीएसए वरेली।

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