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दिव्यांगों को मिलने वाला लाभ शर्तें लगाकर व्यर्थ नहीं करें


नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शारीरिक रूप से दिव्यांग


कर्मचारियों की परेशानियों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है। कि दिव्यांगों को मिलने वाला लाभ लेने के लिए ऐसी शर्त नहीं लगाई जा सकती, जिससे वह निरर्थक हो जाए। दिव्यांग कर्मचारी को सर्कुलर के तहत नियुक्ति स्थान चुनने के लाभ से वरिष्ठता घटने की शर्त लगा कर वंचित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी सर्कुलर का लाभ लेकर ट्रांसफर लेने वाले दिव्यांग शिक्षक की वरिष्ठता घटाने का आदेश रद कर दिया। अदालत ने राजस्थान सरकार को निर्देश दिया कि वह शिक्षक की मूल वरिष्ठता बहाल करे। यह आदेश न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और जेके माहेश्वरी की पीठ ने राजस्थान के दिव्यांग शिक्षक की याचिका पर दिया । कोर्ट ने दिव्यांगों के अधिकारों की रक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का जिक्र किया है। इसे भारत ने भी अंगीकार किया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य का दायित्व है कि वह संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को प्रभावी ढंग से लागू करे। शारीरिक रूप से अशक्त लोगों के लिए लाए गए नियम, कानून, आदेश और सर्कुलर 'दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन' के अनुकूल होने चाहिए। इसके अलावा दिव्यांग जन संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत प्राप्त बराबरी के अधिकार के हकदार हैं। अनुच्छेद 19 के तहत व्यक्ति को कोई रोजगार और व्यवसाय चुनने की स्वतंत्रता है।

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