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तबादला नहीं, अदालत जाएंगे बेसिक शिक्षक

बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए इस सत्र में भी अभी तक स्थानांतरण नीति जारी नहीं हो सकी है। पिछले सात सालों से जिले के अंदर एक से दूसरे ब्लॉक में तबादले का बेसब्री से इंतजार कर रहे ये शिक्षक अब कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले 2017 में स्थानान्तरण नीति बनी थी जो हाइकोर्ट में विवाद में फंस गई।


इसके बाद सरकार ने जनपद में सिर्फ पारस्परिक तबादले किए लेकिन ओपन ट्रांसफर नहीं किए। जबकि इस बीच दो बार अंतरजनपदीय स्थानान्तरण करके और नई नियुक्ति से शहर के नजदीकी सामान्य ब्लॉक में पद भर दे रहे हैं। जबकि पिछड़े ब्लॉकों में पांच वर्ष से अधिक नौकरी कर चुके शिक्षकों को निजदीक के ब्लॉक में तैनाती मिलने के अवसर कम हो रहे हैं।

तैनाती नियमावली 2010 में नवनियुक्त और अंतरजनपदीय स्थानान्तरण से आए शिक्षकों को अनिवार्य रूप से पांच वर्ष पिछड़े और सुदूर ब्लॉक में ड्यूटी करना अनिवार्य है। लेकिन नियमावली के विपरीत नए शिक्षकों और अंतरजनपदीय शिक्षकों को शहर के नजदीक के ब्लॉक में तैनात किया गया है।

गणित और विज्ञान विषय की 29334 शिक्षक भर्ती में नियुक्त अनिल राजभर और अफरोज अहमद का कहना है कि शिक्षकों का कैडर जिले का होने के बावजूद सरकार उनके साथ भेदभाव कर रही है। अब कोर्ट जाने के सिवा कोई चारा नहीं बचा है।

100 किमी दूर तक पति-पत्नी की तैनाती

कुछ शिक्षक दंपती हैं जो जिले के अंदर विपरीत दिशाओं में अलग-अलग ब्लॉक में 100 किलोमीटर तक एक-दूसरे से दूर तैनात हैं। उनके लिए बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो रहा है। जबकि राज्य सरकार की स्थानान्तरण नीति में दंपती को एक स्थान या एक ब्लॉक में तैनाती का नियम है।

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