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स्कूल की सफलता प्रधानाध्यापक की कल्पनाशक्ति पर निर्भर

प्रयागराज : विद्यालय में प्रधानाचार्य की वही भूमिका होती है जो सेना में सेनापति की। वह विद्यालय के कार्यक्रमों की योजना बनाता है तथा उन योजनाओं को क्रियान्वित करता है। शिक्षकों और कर्मचारियों के बीच कार्य का विभाजन भी करता है। विद्यालय की सफलता प्रधानाचार्य की दक्षता, कल्पनाशक्ति और उसके गुणों पर निर्भर करती है। यह विचार क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र ने व्यक्त किए। वह ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज में आयोजित विद्याभारती के स्कूलों के प्रधानाचार्यों की बैठक को संबोधित कर रहे थे।


 उन्होंने कहा कि प्रधानाचार्यों के व्यक्तित्व एवं आदर्शों की छाप विद्यालय के प्रत्येक कार्य पर पड़ती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भारतीय शिक्षा समिति के क्षेत्रीय सह मंत्री चिंतामणि सिंह ने कहा कि योजनाओं के सतत् कियान्वयन के लिए इस प्रांतीय बैठक का आयोजन किया गया। विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय शिशु वाटिका प्रमुख विजय उपाध्याय रहे। इस मौके पर विभिन्न विद्यालयों के उन प्रधानाचार्यों को सम्मानित किया गया जिन्होंने राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर विशिष्ट उपलब्धियां प्राप्त की हैं। कार्यक्रम में विक्रम बहादुर सिंह परिहार, रामजी सिंह, गोपाल तिवारी, दयाराम यादव, जगदीश मौजूद रहे।

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