Header Ads

डीजी लाकर में अंकपत्र न रखने पर रोकी जाएगी शुल्क प्रतिपूर्ति

 डीजी लाकर में अंकपत्र न रखने पर रोकी जाएगी शुल्क प्रतिपूर्ति

आर्थिक रूप से कमजोर मेधावियों को मिलने वाली शुल्क प्रतिपूर्ति पर कोरोना का ग्रहण न लगे, इसके लिए समाज कल्याण विभाग राजधानी के सभी 630 संस्थानों का मास्टर डाटा तैयार कर रहा है। आनलाइन डाटा में फीस से लेकर कोर्स और शिक्षकों की पूरी जानकारी देनी होगी। इसके साथ ही अगले 15 दिनों में राजधानी समेत प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों को डीजी लाकर में सभी के अंकपत्र रखने होंगे, जिससे उनकी पड़ताल में दिक्कत न हो। ऐसा न करने पर संस्थान के विद्यार्थियों को प्रतिपूर्ति रुक जाएगी।

समाज कल्याण विभाग की ओर से आर्थिक रूप से कमजोर मेधावियों की फीस शुल्क प्रतिपूर्ति के रूप में दी जाती है। 2021-22 वित्तीय वर्ष में शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए सामान्य वर्ग के लिए 52,500 लाख रुपये और अनुसूचित जाति व जनजाति की शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति के लिए 98,012 लाख रुपये का बजट स्वीकृत है। इससे पूर्व दशम कक्षा नौ और 10 व दशमोत्तर कक्षा 12 के ऊपर विद्यार्थियों को पैसा दिया जाएगा। विद्यार्थी वेबसाइट https://scholarship.up.gov.in/ पर जाकर जानकारी ले सकते हैं। पालीटेक्निक और आइटीआइ की प्रवेश प्रक्रिया अभी चल रही है। काउंसिलिंग के बाद प्रवेश होंगे।

हर साल 60 लाख को मिलती है शुल्क प्रतिपूर्ति : हर साल करीब 27 लाख अनुसूचित जाति व जनजाति और सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति दी जाती है। पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक विभाग को मिलाकर प्रदेश के 60 लाख विद्यार्थियों को हर साल शुल्क प्रतिपूर्ति व छात्रवृत्ति का लाभ मिलता है। कोरोना के चलते सामान्य वर्ग की छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का बजट कम कर दिया गया है। इसके चलते सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए इंटर में 60 फीसद अंक अनिवार्य है। परास्नातक स्तर के कोर्स में प्रवेश के बाद शुल्क प्रर्तिपूर्ति के लिए आवेदन करने के लिए स्नातक में 55 फीसद अंक अनिवार्य है।


630 शिक्षण संस्थानों को देना है आनलाइन डाटा, परास्नातक में प्रवेश के लिए शुल्क प्रर्तिपूर्ति के लिए 55 फीसद अंक जरूरी

समाज कल्याण विभाग की संशोधित नियमावली के तहत मैनेजमेंट कोटे के विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं दी जाएगी। जीरो फीस की व्यवस्था भी खत्म हो गई है। सामान्य वर्ग के इंटर में 60 फीसद और स्नातक में 55 फीसद वाले को ही शुल्क प्रतिपूर्ति मिलेगी। मास्टर डाटा न देने वाले संस्थानों के विद्यार्थियों को शुल्क प्रतिपूर्ति का लाभ नहीं मिलेगा। डीजी लाकर में अंकपत्र रखना अनिवार्य है। ऐसा न होने पर संस्थान जिम्मेदार होंगे।

डा.अमरनाथ यती, जिला समाज कल्याण अधिकारी

कोई टिप्पणी नहीं