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कायाकल्प ने बदली सूरत, परिषदीय स्कूल भी स्मार्ट

कायाकल्प ने बदली सूरत, परिषदीय स्कूल भी स्मार्ट

प्रयागराज : प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की कवायद जारी है। स्कूलों में संसाधनों का विकास भी किया जा रहा है। खासकर परिषदीय स्कूलों की सूरत बदलने में ऑपरेशन कायाकल्प विशेष रूप से मददगार साबित हो रहा है। सभी स्कूलों में बिजली कनेक्शन, टायलीकरण, स्कूल भवन को संवारने, पीने के लिए पानी की समुचित व्यवस्था, शौचालय व कूड़ा निस्तरण के अतिरिक्त पुस्तकालय, विज्ञान की प्रयोगशाला के लिए अलग कक्ष आदि की व्यवस्था की जा रही है।


उच्च प्राथमिक विद्यालय कोटवा के सहायक अध्यापक दिनेश कुमार मिश्र ने बताया कि उनके विद्यालय में वर्तमान में 281 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। कुल आठ कक्षा कक्ष हैं। इनमें से छह में कक्षाएं चलती हैं जब कि एक में भोजन बनता है और एक कक्ष को पुस्तकालय व प्रयोगशाला के रूप में विकसित किया गया है। सभी कक्षों का टायलीकरण हो चुका है। यूरीनल, शौचालय व पीने के पानी की भी पर्याप्त व्यवस्था है। विद्यालय में स्मार्ट कक्षा भी है। इसके लिए स्मार्ट टेलीविजन, पेन ड्राइव भी खरीदी गई है। किसी भी विषय के अध्यापन से पूर्व दीक्षा एप के विषय से संबंधित वीडियो बच्चों को दिखाया जाता है। यही वजह है कि आसपास छह अन्य निजी स्कूल होने के बाद भी बच्चे यहां दाखिला लेने के लिए प्रयासरत रहते हैं।

परिषदीय स्कूलों की हालत सुधारने के लिए ऑपरेशन काया कल्प में सभी स्कूलों में साफ पानी, बालक व बालिकाओं के लिए शौचालय, श्यामपट, रसोईघर बनाने सहित कुल 14 ¨बदुओं पर काम हो रहा है।

- संजय कुशवाहा, बेसिक शिक्षाधिकारी

स्कूलों में डेस्क-बेंच, पीने के पानी, शौचालय की व्यवस्था, पुस्तकालय व विज्ञान प्रयोगशालाओं का भी प्रबंध


शिक्षा का स्तर सुधारने की कवायद

मिशन प्रेरणा के जरिए परिषदीय स्कूलों में पठन पाठन सुधारने की कोशिश हो रही है। स्तरीय पाठय सामग्री उपलब्ध कराने के लिए दीक्षा एप की मदद ली जा रही है। आदर्श पुस्तकालय की स्थापन, कक्षानुरूप आकर्षक लर्निग कार्नर, वाल पेंटिंग, ई पाठशाला के तहत ऑनलाइन कक्षाओं का भी संचालन हो रहा है। बोलो एप के माध्यम से बच्चों को पढ़ने की सुविधा दी जा रही है। यह एप बिना इंटर नेट के चल रहा है। मार्च 2023 तक लर्निग आउटकम की प्राप्ति कराने का लक्ष्य तय किया गया है।

मॉडल स्कूलों में शिक्षक कम

कुछ परिषदीय स्कूलों को अंग्रेजी माध्यम में बदला। उन्हें फाइलों में मॉडल स्कूल घोषित किया है। इनमें भी अब तक जरूरत के अनुसार अंग्रेजी माध्यम के शिक्षक तैनात नहीं किए जा सके हैं 

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