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परिषदीय स्कूली बच्चों को बांटने के बजाय फूंक दी सरकारी किताबें, वीडियो वायरल होने के बाद मचा हड़कंप

  परिषदीय स्कूली बच्चों को बांटने के बजाय फूंक दी सरकारी किताबें, वीडियो वायरल होने के बाद मचा हड़कंप 

जूनियर स्कूलों में दस फरवरी से बच्चों की पढ़ाई शुरू होनी है और पहली मार्च से प्राइमरी स्कूलों में बच्चे बुलाए जाएंगे। लेकिन स्कूल खुलने के पहले ही सफाई अभियान के बहाने बच्चों को बांटने के लिए खरीदी गईं किताबों को इटियाथोक के उच्च प्राथमिक विद्यालय दूल्हमपुर में आग के हवाले कर दिया गया। सोमवार को इसका वीडियो वायरल होने से खलबली मच गई। इतना ही नहीं बीआरसी पर हजारों जूते-मोजे अभी डंप हैं। बच्चों को पूरा ठंड का मौसम बीतने को है जूते-मोजे नहीं मिल पाए। यही नहीं जो जूते आए हैं उनकी साइज ही सही नहीं है।




बेसिक शिक्षा विवादों में घिरता ही जा रहा है। अभी पुराने मामले ठंडे ही नहीं हुए थे कि और मामले सामने आ गए हैं। स्कूल में किताबों के फूंके जाने के बाद विभाग में खलबली मच गई है। इसके साथ ही बच्चों को मिलने वाली योजनाएं भी कई स्कूलों के बच्चों तक नहीं पहुंच पाईं है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डा. इंद्रजीत प्रजापति ने मामलों की रिपोर्ट खंड शिक्षा अधिकारियों से मांगी है। इसके अलावा हिदायत भी दी है कि बच्चों को दी जाने वाली सुविधाएं उन्हें प्राथमिकता से उपलब्ध कराईं जाएं।


 
स्कूल परिसर में किताबों को फूंक कर फरार हुए शिक्षक
छात्रों को वितरित की जाने वाली सरकारी पुस्तकें सोमवार को विद्यालय परिसर में ही अध्यापकों ने जला दी। पुस्तकें जलाने के बाद शिक्षक विद्यालय छोड़कर फरार हो गए। यह मामला एक वीडियो वायरल होने के बाद क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। शिक्षा क्षेत्र इटियाथोक के अंतर्गत उच्च प्राथमिक विद्यालय दूल्हमपुर में सोमवार को वीडियो वायरल हुआ, जिसमें रसोइया कर्ताराम स्वीकार कर रहा है कि सरकारी पुस्तकें जलाई गई हैं। यह कार्य उन्होंने प्रधानाध्यापक के कहने पर की है। छात्रों को निशुल्क पुस्तक वितरण करने की योजना के तहत विद्यालय में पुस्तकें डंप थीं जिसे छात्रों में वितरित नहीं किया गया। उन किताबों को सोमवार को जला दिया गया। विद्यालय परिसर में पुस्तकें जलाने का मामला प्रकाश में आने पर क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया। वहीं प्रधानाध्यापक सूर्य प्रकाश उपाध्याय ने बताया कि पुरानी पुस्तकें थीं तथा कुछ पुराने अभिलेख थे जिसे जलाया गया है। इस संबंध में बीईओ विभा सचान ने मामले की रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

बच्चों तक नहीं पहुंचे जूते, बीआरसी पर ही हैंडंप
परिषदीय स्कूलों के बच्चों के लिए जूते-मोज आ गए हैं और उन्हें बीआरसी भी भेज दिया गया। अब बीआरसी से स्कूलों को भेजकर उनका वितरण कराना है। दर्जीकुआं डायट परिसर में ही स्थित बीआरसी में बच्चों के करीब 22 हजार जूते-मोजे अभी तक डंप हैं और उनका वितरण नहीं कराया गया है। ऐसा तब है जब परिसर में ही सहायक शिक्षा निदेशक का भी दफ्तर है। इसके बाद भी जूते-मोजे का वितरण नहीं हो पाया है। यही नहीं जूते के साइज को लेकर भी विवाद है। कई स्कूलों से शिकायतें मिलीं हैं कि साइज सही नहीं है। जिससे बच्चों को दिए जाने पर उपयोग नहीं हो सकेगा। फिलहाल जूते को डंप रखने से ही वितरण में देरी हो रही है। बताया गया कि करीब साढ़े तीन लाख बच्चों को उपलब्ध कराने के लिए करीब तीन लाख 52 हजार जूते बीआरसी के कमरों में डंप हैं। पूरा ठंड बीत गया लेकिन बच्चे नंगे पैर ही घूमते रहे। कोरोना में स्कूल बंद होने के बावजूद बच्चों को किताबें, स्वेटर, जूते मोजे व ड्रेस देने की हिदायत शासन से थी।

सहायक शिक्षा निदेशक विनय मोहन वन का कहना है कि स्कूलों की योजनाओं के बारे में जानकारी की जा रही है। लापरवाही पर कार्रवाई की जाएगी। जूते के वितरण के बारे में रिपोर्ट ली जा रही है। जिम्मेदारी तय करके कार्रवाई की जाएगी।

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