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परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों के बच्चों के जूता खरीद में सरकार ने बचाए 10 करोड़, टेंडर में सीधे निर्माता कंपनियों के शामिल होने से इस बार सबसे कम रेट

 परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों के बच्चों के जूता खरीद में सरकार ने बचाए 10 करोड़, टेंडर में सीधे निर्माता कंपनियों के शामिल होने से इस बार सबसे कम रेट

प्रदेश के परिषदीय स्कूलों के विद्यार्थियों को निशुल्क जूता देने के लिए निकाले गए टेंडर में सरकार ने पिछले वर्ष की तुलना में 10 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है। पिछले तीन वर्षों की तुलना में इस बार सबसे कम 87.40 रुपये प्रति जोड़ी की दर से हर बच्चे को जूता मुहैया कराए जाएगा। स्कूल शिक्षा महानिदेशक बिजय किरन आनंद ने बताया कि इस यार जूता खरीद के टेंडर में ट्रेडर्स को शामिल नहीं किया गया। सीधे निर्माता कंपनियां इसमें शामिल हुईं। प्रदेश व देश के अन्य राज्यों की बड़ी निर्माता कंपनियों के शामिल होने से प्रतिस्पर्धा बढ़ी और रेट कम हो गया। बेसिक शिक्षा विभाग ने 1.60 करोड़ विद्यार्थियों को जूता बितरण के लिए अगस्त में टेंडर किया था। इसमें करीब आधा दर्जन से अधिक कंपनियों की प्रतिस्पर्धा में 87.40 रुपये में जूता वितरण का ठेका दिया गया है। चार फर्मे निविदा की शर्तों के अनुसार मजबूत ब टिकाऊ जूता देंगी जो कम से कम एक साल तक चले। 




महंगाई बढ़ी पर कीमत कम होती रही 
योगी सरकार ने सबसे पहले 2017-18 में परिषदीय विद्यार्थियों के लिए जूता-मोजा वितरण शुरू कराया था। बीते तीन वर्षों में जहां अन्य वस्तुओं के दामों में काफी बढ़ोतरी हुई वहीं प्रशासनिक पारदर्शिता के कारण परिषदीय स्कूलों में जूता आपूर्ति की दर लगातार कम हो रही है।


 क्वालिटी खराब होने पर फर्म के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई 
2019 में शैक्षिक सत्र के शुरुआत जुलाई-अगस्त में ही परिषदीय विद्यार्थियों के जूते फटने के मामले प्रदेश भर से सामने आए थे। इस पर शासन ने फर्मों को दोबारा जूता आपूर्ति के आदेश दिए थे। स्कूल शिक्षा महानिदेशक किरन आनंद ने बताया कि इस बार क्वालिटी खराब होने पर फर्म के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।

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