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जीवन की अपेक्षा, आवश्यकता के अनुसार बनी है नई शिक्षा नीति:- सवाल-जवाब के प्रमुख अंश

जीवन की अपेक्षा, आवश्यकता के अनुसार बनी है नई शिक्षा नीति:- सवाल-जवाब के प्रमुख अंश

प्रश्न- नई व्यवस्था में प्री प्राइमरी का कान्सेप्ट है। अभी किसी भी प्राथमिक विद्यालय की व्यवस्था ठीक नहीं चल रही। बच्चों का स्तरीय पठन पाठन भी नहीं हो रहा। इसके लिए क्या किया जाए।

उत्तर- नई व्यवस्था तत्काल प्रभाव से नहीं लागू है। अभी इसका मसौदा घोषित हुआ है। इसके लागू होने में समय है, तब तक चीजों को और व्यवस्थित करने की कवायद चल रही है।

प्रश्न- नई नीति में उच्च शिक्षा में अध्यापन के लिए पीएचडी अनिवार्य की जा रही है क्या?

उत्तर- अभी भी पीएचडी अनिवार्य नहीं है, आगे भी नहीं किया गया है।

प्रश्न- देश में एक समान शिक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दी जा रही है।

उत्तर- एक देश एक शिक्षा का प्रावधान न होने की वजह यह है कि हमारे देश में विभिन्नता बहुत है। अलग संस्कृति, अलग रहन सहन जैसे बहुत से कारक हैं। वैसे भी यह नीतिगत मुद्दा है। सरकारें समय-समय पर विचार करती रहती हैं।

प्रश्न- नई शिक्षा नीति से क्या लाभ होगा। मध्यम वर्ग के विद्यार्थी खुद को कैसे सुधार पाएंगे?

उत्तर- बच्चों को तीन साल की उम्र से ही विद्यालय में प्रवेश दिलाया जाएगा। बच्चों के लिए तीन साल से 18 साल तक का समय शिक्षा के अधिकार के रूप में प्रयोग किया जाएगा। नई व्यवस्था में बच्चों को उनके परिवेश के अनुसार पढ़ाने की बात है। इससे उनका मौलिक विकास होगा। सामाजिक, सांस्कृतिक विकास भी संभव होगा।

प्रश्न- एमए के बाद एक साल का बीएड करने की व्यवस्था कब से शुरू हो रही है?

उत्तर- अभी इस संबंध में कोई समय सीमा नहीं है। बहुत संभावना है कि पुराने पाठ्यक्रम के अनुसार पढ़ाई करने वालों को पूर्व की व्यवस्था के अनुसार ही पढ़ाई पूरी कराई जाए।

प्रश्न-नई नीति कब से लागू होगी। अभी जो बच्चे पढ़ रहे उन्हें नई व्यवस्था से पढ़ना होगा या पुरानी?

उत्तर- अभी सिर्फ नई व्यवस्था का ढांचा बनाया गया है। धीरे-धीरे इसका अनुपालन होगा। 2021 से कुछ बदलाव दिख सकते हैं। इससे बच्चों को किसी तरह की कठिनाई नहीं होगी। इस संबंध में भी दिशा निर्देश जारी किए जाएंगे।

नई शिक्षा नीति 34 साल बाद घोषित की गई। इसमें प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक ढांचागत बदलाव किया गया है। क्या-क्या बदलाव हुए, इस बारे में विस्तार से दैनिक जागरण के प्रश्न पहर कार्यक्रम में यूजीसी के टीचर्स एजुकेशन स्टैं¨डग कमेटी के सदस्य व इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रहे डा. पीके साहू ने बताया। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति रोजगार परक होगी। इसमें जीवन की अपेक्षा व आवश्यकता के अनुसार बदलाव किया गया है। बच्चों को उनके परिवेश, संस्कृति व भाषा से जोड़कर शिक्षण कार्य किया जाएगा। इससे उनका मौलिक विकास होगा और सांस्कृतिक विरासत को भी संजोने में मदद मिलेगी। गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों की तरह कला, संगीत, खेल आदि को भी अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाएगा। 

जवाब देते प्रो. पीके साहू
कौशलपूर्ण शिक्षा देने का प्रयास है। इसमें अध्यापकों के प्रशिक्षण पर भी जोर है। ग्राम संसाधन केंद्र, न्यायपंचायत स्तर पर संसाधन केंद्र, ब्लाक, जिला व राज्य स्तर पर संसाधन केंद्रों की भूमिका बढ़ेगी। तकनीक पर भी जोर दिया जाना है। उच्च शिक्षा में लचीलापन लाते हुए व्यवस्था दी जाएगी कि अलग-अलग विश्वविद्यालय से अलग अलग कोर्स करने पर क्रेडिट बेस्ड सिस्टम बने। इसका लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा। स्तरीय शिक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 100 विश्वविद्यालय तैयार किए जाएंगे जिससे हम वैश्विक परिवेश के साथ चल सकें।

इन्होंने पूछे प्रश्न : मनीष पांडेय, मांडा, पंकज कश्यप, दारागंज, करुणोश प्रसाद, नीमसराय, नरेश निषाद, झूंसी, शैलेंद्र कुमार, छोटा बघाड़ा, बीडी सिंह, शांतिपुरम, विश्वनंदन यादव, छोटा बघाड़ा।

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