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जुलाई से विद्यालय शुरू करने अर्थात शिक्षकों के विद्यालय जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को लेकर कुछ शंकाएं है। उम्मीद थी कि इन बिंदुओं पर अधिकारी स्तर की वार्ता में कोई मांग रखी जाती।

जुलाई से विद्यालय शुरू करने अर्थात शिक्षकों के विद्यालय जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को लेकर कुछ शंकाएं है। उम्मीद थी कि इन बिंदुओं पर अधिकारी स्तर की वार्ता में कोई मांग रखी जाती।

जुलाई से विद्यालय शुरू करने अर्थात शिक्षकों के विद्यालय जाने सम्बन्धी प्रस्ताव को लेकर कुछ शंकाएं है। उम्मीद थी कि इन बिंदुओं पर अधिकारी स्तर की वार्ता में कोई मांग रखी जाती।*

1- *पहला, जिन विद्यालयों में क्वारन्टीन सेंटर बनाये गए थे उनमें तकरीबन सभी मे, को क्या प्रशासन की तरफ से सेनेटाइज करने के लिए क्या कदम उठाए गए। या चर्चा भी हुई ? उनमें कोरोना से ग्रस्त प्रवासी मजदूरों आदि को रखा गया था।*


2- *दूसरा, शीर्ष अधिकारियों द्वारा शिक्षकों की सुरक्षा जैसे N95 मास्क, सेनेटाइजर आदि की व्यवस्था विभाग द्वारा करने का कोई प्रस्ताव रखा गया ?*

*शिक्षकों को कोरोना न हो ऐसी संभावनाएं न के बराबर है। बेसिक शिक्षकों के संरक्षक प्रतिनिधि होने के नाते और बेसिक शिक्षा विभाग को एक परिवार की तरह होने के नाते ये आवश्यक है कि शिक्षा के ज्योतिपुंजों अर्थात शिक्षकों की सुरक्षा विभाग का दायित्व शीर्षधिकरियों और विभाग द्वारा उठाया जाए।*


3- *तीसरा, ड्रेस वितरण, पुस्तक वितरण आदि के लिए अगर घर घर जाना पड़े तो क्या ये संभव नही है कि बड़ी संख्या में शिक्षक कोरोना पीड़ित हो सकते है। उनकी सुरक्षा के लिए कोई प्रस्ताव है ?* 


4- *चौथा, ये सभी प्रस्ताव क्या किसी शिक्षक संगठन द्वारा शीर्ष स्तर पर या जनपद स्तर पर भी ऐसी कोई मांग रखी गयी है या सारी कवायद केवल धरने,भाषण और राजनीति तक ही सीमित है ?*


     *पुरानी पेंशन है नही, इंक्रीमेंट समाप्त हो गया, इंश्योरेंस जैसी सुविधा हमे प्राप्त नही होती और अब जीवन पर भी प्रश्न उठना चिंता में डालने वाला है।* 


     *मुझे उम्मीद है कि इन मुद्दों पर कोई सकरात्मक पहल की जायेगी। आखिर शिक्षक मानवीय संसाधनों के दायरे में आते है न कि केवल कर्मचारी।*

            *धन्यवाद*

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