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अपना पैन नंबर बदलने वाले अध्यापक रडार पर, संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन होगा

अपना पैन नंबर बदलने वाले अध्यापक रडार पर, संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का दोबारा सत्यापन होगा

प्राइमरी स्कूल के ऐसे शिक्षक जिन्होंने 2013 से अब तक अपना पैन नंबर बदला हो, बेसिक शिक्षा विभाग के रडार पर होंगे। ऐसे शिक्षकों की सूची कोषागार से प्राप्त कर 24 जून तक निदेशालय भेजनी है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा है कि इससे पहले भी ऐसे शिक्षकों की सूची मांगी जा चुकी है लेकिन बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालयों से अभी तक कोई सूचना प्राप्त नहीं हुई है। इसे अविलम्ब भेजा जाए।

दरअसल, शिक्षकों के फर्जीवाड़े के तार बेसिक शिक्षा कार्यालयों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। ऐसे शिक्षकों की फाइल दबाने के नाम पर खूब खुला खेल होता है। 2019 सितम्बर में सिद्धार्थनगर बीएसए के स्टेनो को एसटीएफ ने गोरखपुर से गिरफ्तार किया था। ये फर्जी प्रमाणपत्र पर शिक्षकों के पद पर नियुक्त पाए लोगों को ब्लैकमेल कर रहे थे। इस तरह के मामले विभाग में खूब है। यही कारण है कि दर्जनों बार सूचना मांगने के बावजूद कई जिलों से सूचनाएं दबा ली जाती हैं। हालांकि ब्यौरा ऑनलाइन होने के बाद ऐसा होना संभव नहीं होगा। लिपिकों का जुगाड़ इससे खत्म होने की उम्मीद है।

लखनऊ। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में फर्जी शिक्षकों पर नकेल कसने के लिए चरणबद्ध ढंग से सत्यापन करवाया जाएगा। संदिग्ध शिक्षकों के प्रमाणपत्रों का सत्यापन संबंधित बोर्ड या विश्वविद्यालय से दोबारा करवाया जाएगा। वहीं जो प्रॉक्सी शिक्षक हैं उनकी पकड़ बायोमीट्रिक हाजिरी से होगी। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस पर काम शुरू किया है। सरकारी प्राइमरी स्कूलों में अमूमन तीन तरीकों से फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जाता है। पहली श्रेणी में फर्जी प्रमाणपत्रों पर नौकरी हासिल करना, दूसरी श्रेणी में किसी अन्य के प्रमाणपत्रों के आधार पर नौकरी करना जैसे अनामिका प्रकरण और तीसरी श्रेणी में नौकरी किसी की होती है और पढ़ता कोई और है यानी प्रॉक्सी शिक्षक। 


लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच की घोषणा के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने जिला स्तर पर समिति में बेसिक शिक्षा अधिकारी को शामिल करते हुए सत्यापन के आदेश दिए हैं। अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने 2018 में जारी आदेश में संशोधन करते हुए मंडलीय शिक्षा निदेशक की जगह बेसिक शिक्षा अधिकारी को समिति का सदस्य सचिव बनाया है और जल्द ही जांच पूरी कर रिपोर्ट भेजने के आदेश दिए हैं। जुलाई 2018 में अपर जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया गया था। इसमें अपर पुलिस अधीक्षक व मंडलीय शिक्षा निदेशक सदस्य थे।