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हिन्दी-उर्दू की किताबों में नहीं छपेंगे गलत तथ्य


यूपी बोर्ड की अनुमोदित हिन्दी, संस्कृत और उर्दू विषयों की किताबों में अब गलत तथ्य नहीं छपेंगे। पूरे प्रदेश के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को अधिकृत और त्रुटिहीन किताबें उपलब्ध कराने के मकसद से बोर्ड अब हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की किताबें अपनी निगरानी में छपवाएगा। इसकी मंजूरी शासन से मिल गई है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुसार किताबों के प्रकाशन की जिम्मेदारी बोर्ड लेगा। अब तक इन तीन विषयों का पाठ्यक्रम तो बोर्ड निर्धारित करता है, लेकिन किताबों के प्रकाशन पर बोर्ड का नियंत्रण नहीं था। यानि कोई भी प्रकाशक इन्हें छाप सकता था। इसका सबसे अधिक नुकसान यह होता है कि कई बार निजी प्रकाशक गलत तथ्य भी छाप देते थे। उदाहरण के तौर पर कभी हिन्दी गद्य साहित्य के शलाका पुरुष आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की जन्मतिथि गलत छप जाती थी तो कभी किसी लेखक की फोटो के स्थान पर किसी दूसरे की फोटो छाप देते थे। इसको लेकर विवाद भी होते रहे हैं। इस प्रकार की गलतियों से बचने के लिए बोर्ड ने प्रकाशन की स्वयं निगरानी का निर्णय लिया है। गौरतलब है कि इन तीनों विषयों की पुस्तकों के अनुमोदन के लिए छह से आठ अक्तूबर 2022 तक यूपी बोर्ड मुख्यालय में कार्यशाला आयोजित की गई थी।



● एनसीईआरटी की 34 विषयों की 67 किताबें छपवाता है बोर्ड

● यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ से 12 तक के 34 विषयों की 67 किताबों का कॉपीराइट राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से लिया है। इनमें हिन्दी, संस्कृत और उर्दू विषय की किताबें शामिल नहीं हैं।

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