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शिक्षा की नींव मजबूत करने की पहल ,गणित व विज्ञान पढ़ाने का गुर सीखेंगे 40 शिक्षक


गणित व विज्ञान पढ़ाने का गुर सीखेंगे 40 शिक्षक


गोरखपुर, परिषदीय स्कूलों के बच्चों को गणित व विज्ञान पढ़ाने का तरीका सीखने के लिए शिक्षक प्रशिक्षित किए जाएंगे। इसके लिए बीएसए, खंड शिक्षाधिकारी, डायट मेंटर व एआरपी समेत 40 सदस्यीय टीम आइआइटी गांधीनगर जाएगी। 11 से 15 जून तक आयोजित प्रशिक्षण में भाग लेने वाले शिक्षकों व अधिकारियों की सूची फाइनल हो चुकी है। जिला समन्वयक समग्र शिक्षा विवेक जायसवाल ने बताया कि जिले के विज्ञान और गणित के एआरपी, शिक्षकों, डायट प्रवक्ता एवं खंड शिक्षा अधिकारियों की 40 सदस्यीय टीम जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के नेतृत्व में जाएगी।

बेसिक शिक्षा का उन्नयन योगी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए स्कूलों का कायाकल्प कराने, संसाधन समृद्ध बनाने और यहां पढ़ने वाले बच्चों के लिए हर सुविधा निशुल्क उपलब्ध कराने के साथ शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार के लिए परिणामदायी प्रयास किए जा रहे हैं। अब शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार के ही दृष्टिगत जिले में मॉडल के रूप में निपुण (नेशनल इनिशिएटिव फॉर प्रोफिशिएंसी इन रीडिंग विथ अंडरस्टैंडिंग न्यूमरेसी) प्रोजेक्ट लागू किया गया है। हर बच्चे को ज्ञान के स्तर पर निपुण बनाने की मंशा वाले इस प्रोजेक्ट के तहत हर बच्चे के ज्ञान का मूल्यांकन किया जा रहा है। यह पता लगाया जा रहा है कि बच्चे ने स्कूल में क्या जाना, क्या सीखा व उसके किस पक्ष को मजबूत बनाने को अतिरिक्त ध्यान देने की आवश्यकता है।

शिक्षा की नींव मजबूत करने की पहल: बेसिक शिक्षा प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था की नींव है। इस नींव को मजबूत करने की दिशा में पहला कदम बढ़ाते हुए गोरखपुर में निपुण भारत प्रोजेक्ट के तहत कक्षा आठ तक सरल ऐप आकलन की परीक्षा ज्ञानोत्सव के रूप में 26 व 27 अप्रैल को संपन्न हुई थी। देश में पहली बार कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों के अधिगम स्तर के अनुरूप सरल एप के द्वारा ओएमआर शीट का प्रयोग करते हुए आकलन किया गया। गोरखपुर के शत प्रतिशत विद्यालयों मे 286000 के सापेक्ष 228800 बच्चे इसमें शामिल हुए। दिव्यांग बच्चे भी उत्साह के साथ प्रतिभागी बने। अभिभावक भी इस तरह की परीक्षा को लेकर उत्साहित रहे। उनके लिए यह आश्चर्य का विषय रहा कि उनके बच्चों की क्षमता का आकलन मोबाइल से किया गया।

परीक्षा का आकलन करने के बाद उन बच्चों को चिन्हित किया गया है जिन पर विषय विशेषज्ञों द्वारा अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। यही नहीं आने वाले दिन में इस तरह का आकलन मासिक आधार पर कराया जा सकता है।


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