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शासन ने दो साल से नहीं बढ़ाई मध्याह्न भोजन की राशि, खाने के सामान की कीमतों का असर पड़ रहा बच्चों के भोजन पर


कासगंज। शासन की मध्याहन भोजन योजना में बजट कम व खर्च अधिक आ रहा है। इसका असर बच्चों को मिलने वाले पौष्टिक भोजन पर पड़ रहा है। दो साल में खाद्य पदार्थों की कीमतें डेढ़ गुना तक तेज हो चुकी हैं। जबकि दो साल से शासन ने कन्वर्जन कास्ट नहीं बढ़ाई है।
बेसिक शिक्षा विभाग के माध्यम से कक्षा 8 तक के बच्चों के लिए मध्याहन भोजन योजना का संचालन किया जा रहा है। इस योजना के तहत बच्चों को दिए जाने वाले
भोजन में पोषक तत्वों की ध्यान में रखते हुए मेन्यू तैयार किया गया है। बच्चों को भोजन के साथ फल एवं दूध की भी व्यवस्था योजना के तहत की गई है। सप्ताह में एक दिन इनको देना होता है। दूध के लिए अतिरिक्त धन शासन से नहीं दिया जाता। शासन से दो साल से भोजन की कन्वर्जन कास्ट नहीं बढ़ाई गई है। जबकि 8 साल से फलों के लिए दिए जाने वाले धन में वृद्धि नहीं की गई है। ऐसे में गुणवत्ता और पौष्टिकता की उम्मीद रखना बेमानी है। कहीं सामग्री में कटौती होती या फिर मानकों को नजरअंदाज किया जाता है। गेहूं और चावल की तो आपूर्ति हो जाती है, लेकिन खाना बनाने के लिए सब्जी, दाल, तेल, मसाले, दूध, फल सामग्री को भी जरूरत पड़ती है। बीते दो सालों में इन वस्तुओं के दाम काफी अधिक बढ़ गए है। सरसों के तेल रिफाइंड की कीमतें तो दो साल में दो गुनी हो चुकी हैं। रसोई गैस की कीमतें भी 30 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। जबकि दालों की कीमतों में 25 प्रतिशत तक की तेजी है। जबकि दूध के दाम 50 प्रतिशत तक बढ़ चुके हैं। वहीं फल भी इस समय काफी महंगे हैं 60 से 100 रुपये किलो के भाव से फल बिक्री हो रहे हैं। यहीं सब्जी भी 40 से 100रुपए तक के भाव में बिक रही है। मिर्च मसालों पर भी 20 प्रतिशत तक की तेजी आ चुकी है।

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