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दर्द:- शिक्षक बनने का था सपना, मगर पति की आश्रित बनकर नहीं:-पहले वेतन से बेटे का पहला जन्मदिन मनाना चाहते थे शिक्षक विजयशंकर

दर्द:- शिक्षक बनने का था सपना, मगर पति की आश्रित बनकर नहीं:-पहले वेतन से बेटे का पहला जन्मदिन मनाना चाहते थे शिक्षक विजयशंकर

गोरखपुर। कंपोजिट विद्यालय रिठुआखोर के सहायक अध्यापक विजयशंकर पाठक (30) पंचायत चुनाव की ड्यूटी से लौटने के बाद कोरोना संक्रमित हुए और कुछ दिन बाद दुनिया छोड़ गए। सरकारी शिक्षक के रूप में नौकरी लगी तो वह पहली तनख्वाह से बेटे का पहला जन्मदिन मनाना चाहते थे। बच्चे के साथ ही स्कूल के विद्यार्थियों को उपहार देना चाहते थे, लेकिन सांसों ने उसी दिन साथ छोड़ दिया जिस दिन बेटे का पहला जन्मदिन था और जिसे वह यादगार बनाना चाहते थे।


पाली ब्लॉक में बतौर सहायक अध्यापक तैनात विजय शंकर पाठक ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती के तहत जिले में 16 अक्तूबर 2020 को ज्वाइन किया। सत्यापन के चलते पहला वेतन उन्हें 30 अप्रैल 2021 को जारी हुआ। दुर्भाग्यवश वह इस समय अस्पताल में थे।

विजय की पत्नी प्रेरणा ने बताया कि वह आठ मई 2020 को जन्म लेने वाले बेटे विराज का पहला जन्मदिन धूमधाम से मनाना चाहते थे। परिवार के साथ-साथ स्कूल के बच्चों को उपहार देना चाहते थे । जिस जन्मदिन का वह बेसब्री से इंतजार कर रहे थे, वो आया तो जरूर मगर उनका साथ छूट गया। 11 लोगों के परिवार में एकलौते कमाने वाले विजय का विवाह दो वर्ष पूर्व प्रेरणा से हुआ था ।

शिक्षित परिवार से होने के चलते विजय ने प्रेरणा को बीटीसी के लिए प्रेरित किया और उसका खर्च भी खुद उठाते थे। चुनाव में उनकी तैनाती मतदान अधिकारी बेलघाट के रूप में हुई थी।

शिक्षक बनने का था सपना, मगर पति की आश्रित बनकर नहीं

प्रेरणा ने बताया कि उनके पति विजय शंकर उन्हें एक शिक्षक बनाना चाहते थे। इसलिए उनके कहने पर बीटीसी की पढ़ाई शुरू की। उस सपने को जीने की इच्छा मेरे मन में जगाने वाले वही थे, मगर उनकी आश्रित बनकर शिक्षक बनने का कभी नहीं सोचा था। अब और कोई विकल्प नहीं बचा है।

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